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आतंकवादियों को धन एवं हथियारों पर रोक लगाने पर राजनीति बंद हो: मोदी

संयुक्त राष्ट्र/नई दिल्ली, 24 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वैश्विक निकाय एवं उसमें शामिल बड़े देशों का आतंकवाद को लेकर भेदभाव नहीं करने का आह्वान करते हुए सोमवार को कहा कि आतंकवाद का सफाया करने के लिए उनको धन एवं हथियारों की आपूर्ति पर पूरी तरह से रोक लगाने की आवश्यकता है।

संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय में आतंकवाद एवं हिंसक उग्रवाद पर रणनीतिक प्रतिक्रिया विषय पर नेताओं के बीच संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए श्री मोदी ने कहा कि आतंकवाद के सफाये और उनको धन एवं हथियारों की आपूर्ति रोकने के लिए हमें आतंकवादियों को संयुक्त राष्ट्र की प्रतिबंधित लोगों की सूची में डालने तथा उन्हें पनाह देने वाले देशों को वित्तीय कार्रवाई कार्यबल द्वारा सूचीबद्ध करने के राजनीतिकरण से बचना चाहिए।

विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) गीतेश शर्मा ने प्रधानमंत्री के भाषण के अंश की जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री ने भारत के अनुभव साझा करते हुए कहा कि लोकतांत्रिक मूल्यों, विविधता एवं समावेशी विकास, आतंकवाद, उग्रवाद एवं कट्टरवाद को बढ़ावा देने वाली विचारधारा के खिलाफ महत्वपूर्ण अस्त्र हैं। उन्होंने यह भी बताया कि भारत ने साइबर क्षेत्र में आतंकवाद एवं हिंसा को भड़काने वाली सामग्री को पूरी तरह से हटाने के लिए क्राइस्टचर्च आह्वान का समर्थन किया है।

सोमवार को प्रधानमंत्री के दिन भर के कार्यक्रमों की जानकारी साझा करते हुए श्री शर्मा ने कहा कि श्री मोदी ने आतंकवाद के खिलाफ उसी तरह की वैश्विक एकजुटता एवं तैयारी का आह्वान किया जैसी जलवायु परिवर्तन को लेकर है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया के किसी भी हिस्से में आतंकवादियों के हमले का आतंकवाद ही माना जाना चाहिए। उसे अच्छा आतंकवाद या बुरा आतंकवाद के रूप में भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।

उन्होंने कहा कि भारत का तेजी से बढ़ता कद और सशक्त लोकतांत्रिक विश्वसनीयता इस वैश्विक बहुपक्षीय मंच पर प्रतिध्वनित हो रही है। फ्रांस के राष्ट्रपति इमैन्युअल मैक्रों ने भी इस कार्यक्रम में एक लोकतंत्र के रूप में भारत द्वारा क्राइस्टचर्च आह्वान का समर्थन करने की सराहना की। श्री मोदी ने द्विपक्षीय एवं क्षेत्रीय प्रणालियों में खुफिया सूचनाओं के साझा करने एवं सहयोग में गुणात्मक उन्नयन की भी वकालत की। प्रधानमंत्री ने आतंकवाद निरोधक सहयोग को संस्थागत स्वरूप दिये जाने की पैरोकारी करते हुए कहा कि भारत इस क्षेत्र में मित्र देशों के साथ क्षमता निर्माण के लिए सहयोग को बढ़ाएगा।

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