सभी प्रकार के मध्यस्थता सेवा प्रदाताओं, संस्थानों के लिये एक नियंत्रण प्राधिकार हो : संसदीय समिति
नई दिल्ली, 14 जुलाई (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। संसद की एक समिति ने एक विधेयक में सभी प्रकार के मध्यस्थता सेवा प्रदाताओं और मध्यस्थता संस्थानों के लिए प्रस्तावित कई प्राधिकरणों के बजाय एक एकल नियंत्रण प्राधिकार की सिफारिश की है।
कार्मिक तथा विधि मंत्रालय से संबंधित संसद की स्थायी समिति ने बुधवार को पेश अपनी रिपोर्ट में यह भी सिफारिश की कि मध्यस्थता प्रक्रिया को पूरा करने के लिए प्रदान की गई समय सीमा को 180 दिनों के बजाय 90 दिनों तक सीमित किया जाना चाहिए और आवश्यकता के अनुरूप उसमें 60 दिन का विस्तार दिया जाए।
भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुशील कुमार मोदी की अध्यक्षता वाली समिति ने मध्यस्थता विधेयक 2021 पर अपनी रिपोर्ट राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को सौंपी है।
रिपोर्ट के अनुसार, समिति ने कहा कि मध्यस्थता विधेयक में विभिन्न प्रकार की मध्यस्थता सेवा प्रदाताओं के लिये अनेक नियंत्रण प्राधिकरण का प्रावधान किया गया है। इस रिपोर्ट के अनुसार, ‘‘और इसलिये समिति यह सिफारिश करती है कि सभी प्रकार के मध्यस्थता सेवा प्रदाताओं और मध्यस्थता संस्थानों के लिए कई नियंत्रण प्राधिकरणों के बजाए एक प्राधिकरण होना चाहिए।’’