सफलता और विफलता से ज्यादा प्रभावित नहीं होता : हार्दिक पंड्या
साउथम्पटन, 08 जुलाई (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। सफलता और विफलता का अब भारत के स्टार हरफनमौला हार्दिक पंड्या पर असर नहीं पड़ता और उन्होंने स्पष्ट सोच के साथ ‘तटस्थ जीने’ का हुनर सीख लिया है। अपने कैरियर में चोटों से परेशान रहे पंड्या के लिये वापसी आसान नहीं थी लेकिन उन्होंने शानदार वापसी करते हुए गुजरात टाइटंस को पहले ही सत्र में आईपीएल खिताब दिलाया। इसके अलावा आयरलैंड के खिलाफ श्रृंखला में कप्तानी करते हुए भारत को जीत दिलाई। इंग्लैंड के खिलाफ पहले टी20 मैच में गेंद और बल्ले दोनों से कमाल करके भारत की जीत के सूत्रधार रहे। पंड्या ने 33 गेंद में 51 रन बनाने के बाद 33 रन देकर चार विकेट लिये।
उन्होंने मैच के बाद प्रेस कांफ्रेंस में कहा, ‘‘कड़ी मेहनत हमेशा रंग लाती है। मेरा हमेशा से मानना रहा है कि अच्छे इरादे से की गई मेहनत बेकार नहीं जाती। मैं खुद को हमेशा तैयार रखना चाहता हूं। कई बार नतीजे मेरे पक्ष में होंगे तो कई बार नहीं।’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं कामयाबी और नाकामी को लेकर ज्यादा नहीं सोचता। मैने तटस्थ जीना सीख लिया है। आज अच्छा दिन था तो कल बुरा भी हो सकता है। जिंदगी चलती रहती है लिहाजा हंसते रहो और मेहनत करते रहो।’’
पंड्या ने कहा कि अपने जीवन को लेकर उनकी सोच हमेशा स्पष्ट रही है और ढर्रे से उतरने पर भी उनके आसपास ऐसे लोग हैं जो उन्हें फिर पटरी पर ले आते हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मेरी सोच हमेशा स्पष्ट रही है। जब भी मुझे लगता है कि साफ सोच नहीं पा रहा हूं तो समय लेकर सुधार करता हूं। मैं हड़बड़ी में कुछ नहीं करता। गेंदबाजी या बल्लेबाजी को तो छोड़ दो, आम जीवन में भी यह स्पष्टता जरूरी है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मेरी मदद के लिये काफी लोग है। परिवार मेरे लिये बहुत अहम है जो मेरी सोच में स्पष्टता लाता है। जब भी मैं कन्फ्यूज होता हूं तो कृणाल है, मेरी पत्नी है, मेरी भाभी है। हमारा तालमेल बहुत मजबूत है और पथ से भटकने पर वे मुझे रास्ते पर ले आते हैं।’’ टेस्ट क्रिकेट हर क्रिकेटर के लिये सर्वोपरि चुनौती है लेकिन पंड्या ने कहा कि वह अभी इसके बारे में ज्यादा नहीं सोच रहे। उन्होंने कहा, ‘‘फिलहाल सीमित ओवरों का सत्र है और पूरा फोकस सफेद गेंद के क्रिकेट पर है। टेस्ट खेलने का मौका भी मिलेगा। मेरा फलसफा साफ है कि जो भी खेलो, उसमें अपना शत प्रतिशत दो।’’