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चेक बाउंस मामलों के निस्तारण के लिए विशेष अदालत गठित करें: उच्चतम न्यायालय

नई दिल्ली, 19 मई (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। उच्चतम न्यायालय ने चेक बाउंस के मामलों के त्वरित निस्तारण के लिए एक सितंबर से पांच राज्यों में सेवानिवृत्त न्यायाधीश के साथ विशेष अदालतों के गठन का निर्देश बृहस्पतिवार को दिया।

न्यायमूर्ति एल. नागेश्वर राव, न्यायमूर्ति बी आर गवई और न्यायमूर्ति एस. रवींद्र भट ने कहा कि महाराष्ट्र, दिल्ली, गुजरात, उत्तर प्रदेश और राजस्थान में बड़ी संख्या में लंबित मुकदमों को देखते हुए परक्राम्य लिखत अधिनियम (नेगोशिएबल इंस्ट्रूमेंट्स एक्ट) के तहत इन राज्यों में विशेष अदालतें गठित की जाएगी।

पीठ ने कहा, ‘‘हमने पायलट अदालतों के गठन के संबंध में न्याय मित्र के सुझावों को शामिल किया है और हमने समयसीमा भी दी है। यह एक सितंबर 2022 के बाद से शुरू होनी है।’’ पठी ने कहा कि इस अदालत के महासचिव यह सुनिश्चित करेंगे कि मौजूदा आदेश की प्रति सीधा इन पांच उच्च न्यायालयों के महापंजीयक को मिले, जो उसे तत्काल कार्रवाई के लिए मुख्य न्यायाधीशों के समक्ष पेश कर सकते हैं।

उच्चतम न्यायालय ने अपने महासचिव को इस आदेश के बारे में इन राज्यों के उच्च न्यायालयों के महापंजीयक को सूचित करने का निर्देश दिया और उन्हें इसके अनुपालन पर 21 जुलाई 2022 तक एक हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया है।

गौरतलब है कि न्याय मित्र ने सुझाव दिया कि एक पायलट परियोजना के तौर पर प्रत्येक जिले में एक सेवानिवृत्त न्यायाधीश वाली एक अदालत होनी चाहिए।

इस मामले पर सुनवाई अब 28 जुलाई को होगी।

शीर्ष अदालत ने चेक बाउंस मामलों के भारी संख्या में लंबित रहने पर संज्ञान लिया था और ऐसे मामलों के तत्काल निस्तारण का निर्देश दिया था। 31 दिसंबर 2019 तक ऐसे मामले 35.16 लाख थे।

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