राजनैतिकशिक्षा

फिर रैली के विजेता जयराम

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

जगत प्रकाश नड्डा की रैली का फलक राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य में भाजपा का ऊंचा स्थान हाजिर करता है, तो हिमाचल के राजनीतिक गणित के कुंभ में आशाओं के समुद्र को निचोड़ देता है। दरअसल भाजपा यह साबित करने में सफल है कि आगामी विधानसभा चुनाव की रूपरेखा होगी क्या। इससे कुछ दिन पूर्व मंडी में रैली करके आम आदमी पार्टी ने हिमाचल में अपने लिए दिशा खोजते हुए जिस अंतरिक्ष की ओर इशारा किया था, उसके जवाब में भाजपा ने अपने वजूद की ताकत दिखाई है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष का आगमन, ऐसी बिसात का श्रीगणेश भी है जो राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के अस्तित्व पर चोट करेगा। ऐसे में ‘आप’ के छिक्के से टूटे नेता बता सकते हैं कि भाजपा का मोहजाल कितना व्यापक और जरूरी था। आम आदमी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष रहे अनूप केसरी को भाजपा में शामिल करना, एक तरह से तीर के मानिंद ‘आप’ के सारे ताने-बाने में सुराख कर रहा है। दूसरी ओर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया द्वारा मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के खिलाफ फैलाई गई भ्रांति का उत्तर भी यह रैली दे गई है। यह ‘आप’ के इरादों की कतरब्यौंत है जिसे बड़े सलीके से निपटाया जा रहा है।

विडंबना यह भी है कि दौ रैलियां और दो पार्टियां आमने-सामने आ गईं, तो तीसरी कांग्रेस है कहां। आश्चर्य यह भी कि अरविंद केजरीवाल अपने साथ भगवंत मान को लाकर हिमाचल में हलचल पैदा कर देते हैं, लेकिन कांग्रेस अभी भी आलाकमान की प्रदक्षिणा में यह फैसला नहीं कर पा रही है कि प्रदेश की बागडोर की हिफाजत कैसे की जाए। आज भी चर्चाओं में दरबारी हाजिरियां भ्रम पैदा कर रही हैं, तो संगठन के फार्मूलों से आहत कई नेता हताश हैं। पंजाब जीत से ‘आप’ तो हिमाचल पहुंच गई, लेकिन वहां की हार से कोई सबक न लेने की स्थिति में कांग्रेस केवल अपनी राह को ही मुश्किल करने पर तुली है। आश्चर्य यह कि पिछले साढ़े चार साल में कांग्रेस के पक्ष पर बढ़-चढ़ कर बोलने वाले और सीधे सरकार से टक्कर लेने वाले मुकेश अग्निहोत्री को आगे बढ़ाने के बजाय, कुछ और ही चक्रव्यूह बनाए जा रहे हैं। ऐसे में कांग्रेस रणनीति कब बनाएगी या चुनावी मंचन कैसे करेगी, यह बिखरा हुआ घरौंदा बनता जा रहा है। भले ही कुछ आंदोलन हुए हों, लेकिन शिमला की तिरंगा यात्राओं में भी पार्टी के बजाय नेताओं के रंग दिखाई दे रहे हैं।

नड्डा की रैली ने अपनी पार्टी और राजनीतिक विरोधियों के घरों को एक साथ संबोधित किया है। एक बार फिर नड्डा की रैली के विजेता बनकर उभरे हिमाचल के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर के लिए चुनावी किश्ती तय हो रही है। नड्डा साधने में माहिर हैं और नेताओं को सीधी रेखा पर चलाने में भी, इसलिए वह जयराम का रक्षाकवच तैयार करने की जिम्मेदारी केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर को सौंप देते हैं। जाहिर है रैली के बहाने भाजपा अपनी कामयाबी का पोस्टर तैयार करती हुई नजर आई। तमाम अटकलों को विराम लगाते हुए राज्य सरकार के पलड़ांे को सक्षम साबित करने के रंग, नड्डा की रैली ने भरे हैं। यहां कंेद्र बनाम राज्य की तस्वीर में अटल सरकार का औद्योगिक पैकेज चमक रहा है, तो विकास की करवटों में योगदान झलक दे रहा है। भाजपा रैली के उद्गार कितनी दूर तक सुने गए या निकट भविष्य में शिमला जैसे समागमों में कितने रक्षा कवच तैयार होते हैं, यह इंतजार रहेगा, लेकिन पहली खेप में पार्टी ने सीधे तौर पर ‘आप’ की मंडी रैली को लंगड़ी मारी है। उसने यह बताने की कोशिश की कि हिमाचल के राजनीतिक उद्गम को बदलना इतना भी आसान नहीं कि किसी टूटन और झूठन से शक्तिशाली संगठन बन जाए। रैली के आसपास का घटनाक्रम राजनीतिक छीना-झपटी की एक और कड़ी जोड़ गया और इस लिहाज से रिंग में ‘आप’ बनाम ‘भाजपा’ हो रहा है। क्या कांग्रेस इससे अछूती रह कर कुछ कर पाएगी या ऐसे अखाड़ों से अलग उसके पास कोई अजेय फार्मूला है।

 

 

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