मनमोहन सिंह के आरोपों पर वित्तमंत्री ने जवाब देने से किया इनकार
नई दिल्ली, 01 सितंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गिरती अर्थव्यस्था और जीडीपी पर मोदी सरकार पर निशाना साथ था. उन्होने कहा कि आज अर्थव्यवस्था की हालत काफी चिंताजनक है। भारत इस रास्ते पर लगातार चलने का जोखिम नहीं उठा सकता। वही पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह द्वारा की गई टिप्पणी पर वित्त मंत्री ने प्रतिक्रिया देने से इनकार कर दिया। चेन्नई में रविवार को एक कार्यक्रम में पत्रकारों ने वित्त मंत्री से पूछा कि मनमोहन सिंह के आरोपों पर उनका क्या कहना है।
इसके जवाब में निर्मला सीतारमण ने कहा कि कि उन्होंने जो कहा, उस पर मेरा कोई विचार नहीं है। उन्होंने जो कहा है मैंने भी उसे सुना है। निर्मला सीतारमण ने कहा, क्या डॉ. मनमोहन सिंह कह रहे हैं कि राजनीतिक प्रतिशोध में शामिल होने के बजाय उन्हें चुप्पी साधे लोगों से सलाह लेनी चाहिए? क्या उन्होंने ऐसा कहा है? ठीक है, धन्यवाद, मैं इस पर उनकी बात सुनूंगी। यही मेरा जवाब है।
बता दें कि, आज सुबह पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने गिरते जीडीपी पर केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा था. अर्थव्यवस्था की हालत को बहुत चिंताजनक बताते हुए पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने रविवार को सरकार से अनुरोध किया कि वह बदले की राजनीति को छोड़े और अर्थव्यवस्था को मानव-रचित संकट से बाहर निकलने के लिए सही सोच-समझ वाले लोगों से संपर्क करे। उन्होंने नोटबंदी और जीएसटी में जल्दबाजी को मानव रचित संकट बताया है।
कांग्रेस नेता का कहना है कि यह आर्थिक नरमी मोदी सरकार के चैतरफा कुप्रबंधन की वजह से है। उन्होंने एक बयान में कहा, वर्तमान में अर्थव्यवस्था की हालत बहुत चिंताजनक है। पिछली तिमाही में जीडीपी की वृद्धि मात्र पांच प्रतिशत तक सीमित रहना नरमी के लम्बे समय तक बने रहने का संकेत है। भारत में तेजी से वृद्धि की संभावनाएं हैं लेकिन मोदी सरकार के चैतरफा कुप्रबंधन के कारण यह नरमी आयी है।
सिंह ने कहा कि देश के युवा वर्ग, किसान, खेतीहर मजदूर, उद्यमी और वंचित तबके को बेहतर सुविधाएं मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भारत इस रास्ते और आगे नहीं बढ़ सकता है। उन्होंने कहा, मैं सरकार से अनुरोध करता हूं कि वह बदले की राजनीति बंद करें और अर्थव्यवस्था को इस मानवरचित संकट से बाहर निकालने के लिए सही सोच-समझ के लोगों से सलाह ले।
सिंह ने कहा कि खास तौर से विनिर्माण क्षेत्र में वृद्धि दर का केवल 0.6 प्रतिशत रहना बिशेष रूप से चिंताजनक है। पूर्व प्रधानमंत्री ने आरोप लगाया कि संस्थाओं को बर्बाद किया जा रहा है और उनकी स्वायत्तता छीनी जा रही है।
