देश दुनियानई दिल्ली न्यूज़

शीर्ष अदालत ने वैक्सीन उत्पादन वाले सरकारी उपक्रमों को पुनर्जीवित करने की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा

नई दिल्ली, 13 दिसंबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। उच्चतम न्यायालय ने वैक्सीन उत्पादन की सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों को पुनर्जीवित करने और उन्हें खरीद का आदेश देकर उनकी पूर्ण उत्पादन क्षमताओं का उपयोग करने के लिए दायर याचिका पर केंद्र को जवाब दाखिल करने का सोमवार को निर्देश दिया। न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एएस बोपन्ना की पीठ ने केंद्र सरकार को चार हफ्ते में याचिका पर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इससे पहले सॉलिसिटर जनरल (एसजी) तुषार मेहता ने कहा कि मामले में नोटिस की जरूरत नहीं है, क्योंकि यह नीतिगत फैसले के क्षेत्र में आता है। पीठ ने कहा, “हम जानना चाहते हैं कि सरकार की नीति क्या है… केंद्र की ओर से सॉलिसीटर जनरल पेश हुए हैं और कहा है कि चार हफ्ते में जवाब दाखिल किया जाएगा। उसके बाद तीन सप्ताह के भीतर प्रत्युत्तर दाखिल किया जा सकता है।“ अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी भी केंद्र की ओर से पेश हुईं। याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता कॉलिन गोंजाल्विस पेश हुए। शीर्ष अदालत पूर्व आईएएस अमूल्य रत्न नंदा, ऑल इंडिया ड्रग एक्शन नेटवर्क, लो कॉस्ट स्टैंडर्ड थेरेप्यूटिक्स और मेडिको फ्रेंड सर्कल की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में वैक्सीन का उत्पादन वाले सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (पीयूसी) को कामकाज करने की स्वायत्ता देने का आग्रह किया गया है। याचिका में कहा गया है, “ भारत में वैक्सीन उत्पादन करने वाली सबसे पुरानी पीयूसी हैं जिनमें से 25 ब्रिटिश राज में स्थापित की गई थीं। 1980 के दशक तक, सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के लिए टीका निर्माण में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लक्ष्य से 29 पीयूसी की स्थापना की गई थी।”

याचिका के मुताबिक, 1986 में विश्व स्वास्थ्य संगठन के वैश्विक प्रयास के तहत भारत में बच्चों में मृत्यु दर और रूग्णता को रोकने के लिए सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम शुरू किया गया था। इसमें कहा गया है कि जब तक गुणवत्ता व किफायत सुनिश्चित की जाती है तबतक किसी भी पीयूसी को किसी टीके का उत्पादन करने से बाहर नहीं रखना चाहिए या सरकार की टीका खरीद से अलग नहीं रखना चाहिए।

 

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *