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भारतीय पनडुब्बी को रोकने के पाकिस्तान के दावे पर नौसेना की चुप्पी

नई दिल्ली, 20 अक्टूबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्र में तथाकथित घुसपैठ की कोशिश करने वाली भारतीय नौसेना की पनडुब्बी को उसके समुद्री क्षेत्र में घुसने से रोकने के पाकिस्तान के दावे पर नौसेना ने चुप्पी साध रखी है और आधिकारिक तौर पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है। पाकिस्तानी सेना के मीडिया विंग ने मंगलवार को एक बयान जारी कर कहा था कि पाकिस्तान नौसेना के मुस्तैद गश्ती तथा टोही विमान ने पिछले शनिवार को पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्र में घुसने का प्रयास कर रही भारतीय नौसेना की पनडुब्बी का समय रहते पता लगाकर अपने कौशल का परिचय देते हुए उसका रास्ता रोक दिया। वक्तव्य में कहा गया था कि यह तीसरा मौका है जब पाकिस्तानी नौसेना ने भारतीय पनडुब्बी की कोशिश को विफल किया है। भारतीय नौसेना के प्रवक्ता से जब इस बारे में प्रतिक्रिया पूछी गयी तो उन्होंने इस पर कुछ भी कहने से इंकार कर दिया। पाकिस्तान और अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में पाकिस्तान के इस दावे से संबंधित खबर के प्रसारित और प्रकाशित होने के बावजूद भारतीय नौसेना ने इस पर चुप्पी साध रखी है। पाकिस्तान ने अपने दावे के समर्थन में इस घटना से संबंधित एक वीडियो भी जारी किया है हालांकि इस वीडियो से यह सिद्ध नहीं होता कि इसमें दिखाई देने वाली पनडुब्बी भारतीय नौसेना की है और यह पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्र में घुसपैठ की कोशिश में है। नौसेना के सूत्रों के हवाले से आ रही मीडिया रिपोर्टों में पाकिस्तान के दावे को खारिज करते हुए कहा गया है कि पाकिस्तान पहले भी इस तरह के दावे करता रहा है और इनमें लेशमात्र भी सच्चाई नहीं है। सूत्रों ने कहा है कि पाकिस्तान समय समय पर इस तरह के संदेहास्पद दावे करता रहा है। पाकिस्तान ने इससे पहले भी वर्ष 2016 तथा 2019 में भी इस तरह के दावे किये थे जिन्हें भारतीय नौसेना ने सिरे से खारिज कर दिया था।
पाकिस्तान की ओर से यह दावा ऐसे समय में किया गया है जब भारत में चार दिसम्बर को मनाये जाने वाले नौसेना दिवस की तैयारियां की जा रही हैं। यह दिन भारतीय नौसेना के इतिहास का स्वर्णिम अध्याय माना जाता है। भारत और पाकिस्तान के बीच 1971 की लड़ाई के दौरान नौसेना की पनडुब्बी ने इसी दिन कराची बंदरगाह पर विध्वंसक हमला कर पाकिस्तान की हार निश्चित कर दी थी।
समुद्री नियमों से संबंधित संयुक्त राष्ट्र की संधि में कहा गया है कि कोई भी देश किसी दूसरे देश के विशेष आर्थिक क्षेत्र में बिना अनुमति के किसी तरह की गतिविधि नहीं कर सकता।

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