महामारी के बीच स्कूलों को फिर से खोलने के मुद्दे का तत्काल कोई समाधान नहीं: अमर्त्य सेन
नई दिल्ली, 23 अगस्त (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। नोबेल पुरस्कार से सम्मानित अर्थशास्त्री अमर्त्य सेन ने कहा है कि कोविड-19 महामारी के बीच स्कूल परिसरों को फिर से खोलने पर हो रही चर्चा का तत्काल कोई जवाब नहीं है।सेन ने रविवार को आयोजित एक ऑनलाइन कार्यक्रम में कहा कि स्कूलों के बंद रहने से बच्चों को बहुत नुकसान हो रहा है, लेकिन अगर स्कूल फिर से खुलते हैं तो उनके स्वास्थ्य की चिंताओं को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।उन्होंने कहा, ष् अमेरिका में, इसी मुद्दे पर दो समूहों के बीच एक बहस चल रही है। भारत में, अलग-अलग राय हैं। लेकिन, पूर्वी बीरभूम में जो बात लागू हो सकती है, वह पश्चिमी बांकुरा में लागू नहीं हो सकती है। कोई पहले से तैयार जवाब नहीं नहीं हो सकता है। अभी तात्कालिक जवाब यही है कि स्थिति ऐसी नहीं है।’’वर्तमान परिदृश्य में मूल्यांकन मॉडल के बारे में सेन ने कहा कि ज्ञान प्राप्त करना और साझा करना ज्यादा महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा, ष्यहां तक कि अगर हम मूल्यांकन पर जोर भी देते हैं, तो हमें याद रखना चाहिए कि क्या यह आखिरी चीज है। ज्ञान हासिल करना और साझा करना पहले आता है। यह मानने के कारण हैं कि इस मुद्दे को विभिन्न पक्षों और पहलुओं से देखा जाना चाहिए।ष्सेन ने कहा, ष्जब हम पहली बार कुछ सीखते हैं, जब हम पहली बार चीजों को समझते हैं …. क्या यह मूल्यांकन से जुड़ा हुआ है? हमें गौर करना होगा। मूल्यांकन निश्चित रूप से उपयोगी होगा, लेकिन कितना और किस तरह से? हमें देखना होगा कि क्या मूल्यांकन और वास्तविक शिक्षा के बीच कोई संबंध है।’’ष् उन्होंने पर्यावरण के लिए खतरों के बारे में पूछे जाने पर कहा कि या तो दुनिया समस्याओं से अवगत है और समाधान जानती है लेकिन सही रास्ते में आगे नहीं बढ़ रही है या संकट को हल करने के लिए दिशा-निर्देश की खातिर गहन चर्चा करने की आवश्यकता है।सेन अभी थॉमस डब्ल्यू लैमोंट विश्वविद्यालय और हार्वर्ड विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र तथा दर्शनशास्त्र के प्रोफेसर हैं। उन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए सौर और परमाणु जैसे वैकल्पिक ऊर्जा स्रोतों पर जोर दिया।