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अमीर व प्रभावशाली अपने मामलों के शीघ्र निपटान के लिए आदेश नहीं प्राप्त कर सकते: न्यायालय

नई दिल्ली, 20 अगस्त (सक्षम भारत)। उच्चतम न्यायालय ने मंगलवार को देश के समृद्ध एवं प्रभावशाली लोगों को स्पष्ट किया कि उनके मामलों को प्राथमिकता नहीं दी जाएगी और वह उच्च न्यायालयों या सुनवाई अदालतों को किसी भी मामले को खास समयसीमा के अंदर फैसला करने का निर्देश नहीं देगा। न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस की पीठ ने यह टिप्पणी एक व्यक्ति की याचिका पर सुनवाई करते हुए की जिसने बंबई उच्च न्यायालय के एक आदेश को चुनौती दी थी। उच्च न्यायालय ने आत्महत्या के लिए उकसाने के एक मामले में अग्रिम जमानत की उसकी याचिका खारिज कर दी थी। न्यायालय ने अपील को खारिज कर दिया और अगर वह दो सप्ताह के अंदर आत्मसमर्पण कर दे तो सुनवाई अदालत याचिकाकर्ता की नियमित जमानत याचिका पर विचार करेगी। इसके बाद याचिकाकर्ता के वकील ने पीठ से आग्रह किया कि वह निचली अदालत को उसकी याचिका पर जल्द फैसला करने का निर्देश दे।पीठ ने कहा, अमीर और प्रभावशाली अदालत में आते हैं और निर्देश प्राप्त कर लेते हैं कि उनके मामलों का फैसला पहले किया जाना चाहिए। हम देश की किसी भी अदालत को खास समयसीमा के भीतर मामले का फैसला करने करने के लिए निर्देश नहीं देंगे, चाहे यह उच्च न्यायालय हो या सुनवाई अदालत हों।पीठ ने कहा कि किसी भी अदालत को ऐसा आदेश नहीं देंगे। याचिकाकर्ता महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में दर्ज एक आपराधिक मामले में आरोपी है। उसने सुनवाई अदालत द्वारा अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दिए जाने के बाद उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था।

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