कांग्रेस ने क्या पाया
-सिद्वार्थ शंकर-
-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-
कांग्रेस ने नवजोत सिंह सिद्धू को अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी की पंजाब यूनिट का अध्यक्ष बना दिया है। उनकी नियुक्ति राज्य में महीनों तक चली खींचतान के बाद की गई है। पूर्व क्रिकेटर ने कई मुद्दों पर कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार के खिलाफ खुलेआम बगावत कर दी थी। इस विवाद के बीच हाईकमान ने सुलह का चार सूत्रीय फॉर्मूला तैयार किया था। इसी के तहत पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने उनकी नियुक्तियां की है। सिद्धू के साथ 4 कार्यकारी अध्यक्ष भी बनाए गए हैं। कुलजीत नागरा, पवन गोयल, सुखविंदर सिंह डैनी और संगत सिंह को यह जिम्मेदारी दी गई है। यह पहले से तय था कि कार्यकारी अध्यक्षों के नाम मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह तय करेंगे। अब सिद्धू को इन चारों से तालमेल बिठाना होगा। नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब प्रदेश कांग्रेस का प्रधान बनाने से सिद्धू टीम के चेहरे फिर से खिल गए हैं। बीते दो साल से हाशिए पर चल रहा सिद्धू गुट मजबूत होगा। 2019 में लोकल बॉडीज मंत्रालय छोडने के बाद सिद्धू ने अपने विधानसभा हलके में भी सक्रिय रहना छोड़ दिया था। तभी से सिद्धू टीम मायूस थी। वहीं अब पार्टी में इस बदलाव की वजह से ‘कैप्टन धड़े्य के लीडरों को अपना वजूद बचाने की चिंता सताने लगी है। सिद्धू के हाथ प्रदेश कांग्रेस की कमान आने के बाद अब अमृतसर जिला में कांग्रेसी लीडरशिप पर उनका प्रभाव बढ़ेगा।
सिद्धू और कैप्टन के बीच तकरार सरकार बनने के साथ ही शुरू हो गई थी। सिद्धू ने हाई कमान की सिफारिश के साथ डिप्टी सीएम बनने का दावा पेश किया, लेकिन कैप्टन अमरिंदर नहीं माने। कैबिनेट मंत्री बने, लेकिन बाद में वहां से भी इस्तीफा दे दिया और कैप्टन अमरिंदर के विरोध का मोर्चा संभाल लिया। नवजोत सिंह सिद्धू अपने ही मुख्यमंत्री पर सवाल उठाते हैं, कांग्रेस सरकार के कामों पर सवाल उठाते हैं, उसके बावजूद गांधी परिवार के भरोसेमंद बने रहते हैं। दोनों के झगड़े के दौरान जब कैप्टन अमरिंदर सिंह दिल्ली आए तो गांधी परिवार से मिलने का वक्त नहीं दिया गया, लेकिन सिद्धू की मुलाकातों वाली तस्वीरें खूब दिखाई गईं।
सिद्धू और कैप्टन अमरिंदर का चार साल से चल रहा झगड़ा कैसे सुलझाया जाए, इस पर हाईकमान में कई दिनों से माथा पच्ची चल रही थी। दोनों तरफ से संकेत मिल रहे थे कि अगर फैसला उनके खिलाफ गया तो बगावत कर देंगे। इसीलिए कांग्रेस हाईकमान अंतिम ऐलान को कुछ और वक्त देना चाहता था। अब जबकि सिद्धू को पंजाब का अध्यक्ष बनाया गया है तो ये उनके लिए बड़ी उपलब्धि है। अध्यक्ष बनाने का मतलब यह है कि कांग्रेस उनकी अगुवाई में अगले साल विधानसभा का चुनाव लड़ेगी। टिकट बंटवारे में उनका बड़ा रोल होगा और अगर कांग्रेस जीतती है तो फिर सिद्धू मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए दावेदारी करने की मजबूत स्थिति में होंगे। इसकी तैयारी के संकेत भी मिलने लगे हैं।
नवजोत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बनाने का दिलासा तब से ही दिया जा रहा था जब 2019 में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन सीएम अमरिंदर इस तरह की चर्चाओं में वीटो करते आए। अमरिंदर की दलील ये रही कि सिद्धू अभी पार्टी में नए हैं। 2017 में ही शामिल हुए, इसलिए किसी सीनियर नेता को पार्टी की कमान देनी चाहिए, दूसरी दलील यह कि मुख्यमंत्री सिख हैं तो पार्टी अध्यक्ष गैर-सिख होना चाहिए। कुल मिलाकर पंजाब में कांग्रेस का झगड़ा अभी खत्म नहीं हुआ है, बल्कि और तेज हो गया है। अगले साल जिन राज्यों में चुनाव हैं वहां पंजाब ही ऐसा राज्य दिखता है जहां कांग्रेस की राह बहुत आसान लगती है। कोई मजबूत विपक्ष नहीं है लेकिन विपक्ष कांग्रेस के भीतर ही तैयार हो गया है।