राजनैतिकशिक्षा

कांग्रेस पार्टी सुधार प्रयासों से दूर?

-रहीम खान-

-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-

भारतीय राजनीति में लंबे समय तक केन्द्र और राज्य की सत्ता पर हुकुमत करने वाली कांग्रेस पार्टी वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के बाद निरंतर अपने पतन की ओर अग्रसर है। लोकसभा चुनाव में तो उसका खराब प्रदर्शन रहा ही रहा पर विधानसभा चुनाव में भी कांग्रेस को इतने बुरे दिन देखने पड़ रहे है कि उसे राज्य की दूसरी पार्टियों के साथ चुनावी गठबंधन करना पड़ रहा है। उसके बाद भी नतीजे बहुत उत्साहवर्धक नहीं है। राजनीति के मैदान में कभी सेंटर फारवर्ड खिलाड़ी रही कांग्रेस आज बैक की पोजिशन पर आ गई है। कांग्रेस की कमजोरियां क्या है वह कैसे दूर हो सकती है। यह सब कांग्रेस के केन्द्रीय नेतृत्व को मालूम है। उसके बावजूद कांग्रेस पार्टी सुधार प्रयासों से बहुत दूर खड़ी है। 2014 लोकसभा चुनाव के बाद एंटोनी कमेटी जो बनी थी और हार के उसने जो रिपोर्ट तैयार की थी उस रिपोर्ट का कोई अता पता नहीं है। केन्द्रीय नेतृत्व की दूरदृष्टि की कमी और राज्यों में कांग्रेस पार्टी के भीतर झगड़े समय पर नहीं सुलझाने का प्रयास है कि पार्टी को लगातार संघर्ष के मार्ग पर जाना पड़ रहा है।
कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं युवा सांसद राहुल गांधी मेहनत करते है, पर उनके राजनीतिक सलाहकार मंडली में व्यवहारिक राजनीतिक सोच रखने वाले नेताओं की कमी का परिणाम है कि राहुल की मेहनत कांग्रेस पार्टी को उत्साहवर्धक परिणाम नहीं दे पा रही है। भाजपा को भी मालूम है कि गांधी परिवार के ऑक्सीजन पर ही कांग्रेस पार्टी सत्ता पर वापस लौट सकती है। इसलिये वह सुनियोजित तौर पर गांधी परिवार के खिलाफ अपनी पालतू मीडिया के जरिये दुष्प्रचार फैलाते रहते है।
राजनीति में एक वाक्य कहा जाता है सरकार तो आती जाती रहती है पर संगठन अपनी जगह कायम रहता है। वर्तमान समय कांग्रेस संगठन बहुत कमजोर है, जिसमें बुनियादी परिवर्तन और नये पन लाने की आवश्यकता है। किंतु केन्द्रीय नेतृत्व मजबूत नहीं होने के कारण कांग्रेस के भीतर सुधार प्रयास केवल हवा में तैर रहे है। जबकि वर्तमान समय कोरोना महामारी से निपटने में भाजपा सरकार हर मोर्चे में विफल हो गई है। अर्थव्यवस्था दम तोड़ रही है। मंहगाई पर भाजपा सरकार का कोई अंकुश नहीं है, 2019 के बाद जितने विधानसभा चुनाव हुए सभी जगह भाजपा की प्रगति का ग्राफ निरंतर कम हुआ है। इतनी सारी विषमताओं के पश्चात भी कांग्रेस पार्टी भाजपा को घेरने में असफल ही प्रतीत हो रही है। इसका कारण है कांग्रेस संगठन का कमजोर होना। कांग्रेस पार्टी को यदि अपने प्रभाव को पुनः प्राप्त करना है तो उसे समय पर निर्णय लेने की आदत डालना होगा ना कि मुद्दों को उलझाये रखना होगा। जब तक कांग्रेस पार्टी ईमानदारी के साथ अपने कमजोरियों को आत्मसात करते हुए उसमें सुधार के जमीनी प्रयास नहीं करती, तब तक उसको अपने राजनीतिक लक्ष्य प्राप्ति में इधर से उधर भटकना होगा। इस तथ्य के बावजूद कि आज भी देश के कोने-कोने एवं सुदूर अंचलों में कांग्रेस का कार्यकर्ता मिल जायेगा, इतना प्रभाव भाजपा का भी नहीं है। क्या कांग्रेस अपनी गलतियों में सुधार के ठोस कदम उठा पायेगी। यह बात आज जनता नहीं खुद कांग्रेस का कार्यकर्ता अपने नेताओं से सवाल करता है।

 

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