असली मकसद जमीन घोटाला नहीं श्रीरामजन्मभूमि पर श्रीराम मंदिर का विरोध करना है
-अशोक भाटिया-
-: ऐजेंसी सक्षम भारत :-
भाजपा ने राम मंदिर निर्माण का अपना बड़ा वादा पूरा किया है और योजना के अनुसार 2024 से पहले अयोध्या में श्रीरामजन्मभूमि पर भव्य श्रीराम मंदिर बन भी जायेगा। जाहिर-सी बात है कि इसका राजनीतिक लाभ भाजपा को मिलेगा ही। इसके साथ ही छह-सात महीने बाद जब उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव होंगे तब भी भाजपा राम मंदिर बनाने का अपना वादा पूरा करने की बात मतदाताओं को याद दिलायेगी, ऐसे में इस मुद्दे का भाजपा को जरा-सा भी राजनीतिक लाभ नहीं हो इसलिए इस तरह के आरोप गढ़ दिये गये हैं। इसके साथ ही देश में कुछ ऐसी ताकतें भी सक्रिय हैं जोकि नहीं चाहतीं कि देश में चल रही बड़ी योजनाएं साकार हों। यह ताकतें नहीं चाहतीं कि देश में सैंकड़ों वर्षों तक अनसुलझे रहे मुद्दे कभी सुलझें। इसलिए कभी सेंट्रल विस्टा के निर्माण की राह में बाधाएं खड़ी करने के प्रयास किये जाते हैं तो कभी श्रीराम मंदिर निर्माण से जुड़े ट्रस्ट को संदेह के घेरे में लाकर मंदिर निर्माण की राह में बाधा खड़ी करने का प्रयास किया जाता है। आरोप लगाने वालों की माँग है कि इस मामले की सीबीआई और ईडी से जाँच हो और एजेंसियां भूमि खरीद के सभी मामलों के साथ ही जनता से मिले चंदे की राशि का भी ऑडिट करें। यानि आरोप लगाने वालों की चाहत है कि मंदिर निर्माण पर स्थगन लग जाये और चुनावों तक जाँच ही चलती रहे और जिससे कि भाजपा को नहीं उन्हें इस मुद्दे का राजनीतिक लाभ मिल जाये।
इसे सभी समझ सकते है कि राम मंदिर निर्माण को लटकाने, भटकाने के लिए उत्तर प्रदेश से लेकर देश की राजधानी दिल्ली तक प्रभु श्री राम के खिलाफ षड़यंत्र होने लगा और एक बार फिर राम मंदिर निर्माण में रोड़ा अटकाने का राम शुरू हो गया। राम मंदिर निर्माण में एक बार फिर अड़चन डालने की कोशिश की जा रही है। समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी ने अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र पर जमीन खरीद में घोटाले का आरोप लगा दिया है। समाजवादी पार्टी के नेता तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय का आरोप है कि दो करोड़ की जमीन को 18 करोड़ 50 लाख रुपए में खरीदा गया। आरोप है लगाया गया कि जिस जमीन को 2 करोड़ रुपए में खरीदा गया उसे महज 10 मिनट के अंदर 18 करोड़ में श्री राम जन्मभूमि ट्रस्ट को बेच दिया गया। समाजवादी पार्टी और आम आदमी पार्टी ने इसकी सीबीआई और ईडी से जांच कराने की मांग की है। इन आरोपों पर ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने कहा है कि ये निराधार है और वोट बैंक के लिए सबकुछ किया जा रहा है।
दरअसल इस मामले का दूसरा एंगल यह है कि उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए आम आदमी पार्टी काफी समय से मेहनत कर रही है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया उत्तर प्रदेश का दौरा भी कर चुके हैं। सिसोदिया लखनऊ आकर राज्य सरकार के मंत्रियों को अपनी उपलब्धियां बताने की चुनौती दे गये तो केजरीवाल ने किसानों के समर्थन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश में रैलियां कीं। हालिया पंचायत चुनावों में भी आम आदमी पार्टी को ठीकठाक सफलता मिली है। इस सबसे उत्साहित आम आदमी पार्टी का प्रयास है कि विधानसभा चुनावों में अपनी शक्ति बढ़ाई जाये, इसके लिए उसे किसी ऐसे मुद्दे की तलाश है जो उसे तो फायदा पहुँचाए ही साथ ही भाजपा को बड़ा नुकसान भी पहुँचाये। साथ ही जनता को यह भी लगे कि सपा, बसपा या कांग्रेस से ज्यादा अच्छी विपक्ष की भूमिका तो आम आदमी पार्टी निभा रही है। इसीलिए काफी खोजबीन कर एक ऐसा मामला गढ़ा गया जो प्रथम दृष्टया ही निराधार नजर आता है। अगर आम आदमी पार्टी के लोगों को लगता है कि भूमि खरीद में कुछ अनियमितता हुई है तो जाँच की माँग ही क्यों की जा रही है, मामला दर्ज कराने की पहल क्यों नहीं की जा रही? जहाँ तक आप नेता संजय सिंह की बात है तो वह वही शख्स हैं जिन्होंने उत्तर प्रदेश के अधिकारियों के संबंध में कथित रूप से विवादास्पद टिप्पणी कर बखेड़ा खड़ा किया था और उनके खिलाफ पुलिस में मामला भी दर्ज है।
आप जरा ट्रस्ट पर लगाये गये आरोप के बाद से विपक्ष की एकजुटता और चेहरे की खुशी तो देखिये। कैसे एक-एक कर सबने हमला बोल दिया है। कांग्रेस, शिवसेना, आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी सहित तमाम विपक्षी दलों ने भाजपा और संघ परिवार के खिलाफ अपनी-अपनी राजनीतिक तलवारें म्यान से बाहर निकाल ली हैं। दरअसल सभी दल जानते हैं कि दिल्ली की गद्दी का रास्ता उत्तर प्रदेश होते हुए जाता है इसीलिए भाजपा को उत्तर प्रदेश की सत्ता में आने से रोकने के लिए अभी इससे भी बड़े हथकंडे अपनाये जाएंगे।
विपक्ष का आरोप है कि दो करोड़ रुपए की जमीन दस मिनट में साढ़े 18 करोड़ रुपए की कर दी गयी। तो इस बारे में उन्हें पता होना चाहिए कि दो करोड़ रुपए वाली रजिस्ट्री 4 साल पहले हुए एग्रीमेंट पर आधारित थी। राम मंदिर विवाद पर अदालत का फैसला आने के बाद केंद्र और राज्य सरकार ने अयोध्या नगरी के कायाकल्प की जो योजना बनाई उससे यहाँ जमीन के भाव आसमान पर पहुँच गये और इसके तहत जिस भूमि की खरीद पर सवाल उठाये जा रहे हैं उसका बाजार भाव 20 करोड़ रुपए का हो गया। लेकिन ट्रस्ट के प्रयासों से यह जमीन डेढ़ करोड़ रुपए कम कीमत पर यानि साढ़े अठारह करोड़ रुपए में मिली। आरोप लगाने वाले जरा खरीदी गयी जमीन के बाजार भाव के बारे में पता कर लें तो उन्हें अपने आरोपों के भाव भी पता चल जाएंगे। उल्लेखनीय है कि बाग बिजैसी मोहल्ले में ट्रस्ट की ओर से खरीदा गया यह भूखंड ठीक उस स्थान पर है, जहां नयी योजना के मुताबिक श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के मॉडल जैसे बन रहे अयोध्या रेलवे स्टेशन का मुख्य द्वार प्रस्तावित है। सवाल जमीन का नहीं होता मौके की जमीन का होता है ।यदि सोशल मीडिया का अध्ययन करें तो रामभक्तों ने जमीन का किसी भी कीमत में खरीदे जाने का स्वागत किया है व अडंगा लगाने वोलों को कड़ी आलोचना भी की है।