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अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस आज, जानें रोचक बातें

हर साल 29 जुलाई (सक्षम भारत)  को अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। साल 2010 में रूस के सेंट पीटर्सबर्ग में एक सम्मेलन हुआ था जिसमें बाघ दिवस मनाने का फैसला लिया गया था। तब से हर साल अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है। उस समय 2022 तक बाघ की आबादी को दोगुना करने का भी लक्ष्य रखा गया था।

प्रॉजेक्ट टाइगर

प्रॉजेक्ट टाइगर

देश में बाघों को विलुप्त होने से बचाने के लिए भारत सरकार ने 1973 में प्रॉजेक्ट टाइगर शुरू किया। इस प्रयास के तहत टाइगर रिजर्व्स बनाए गए। 1973-74 में जहां नौ टाइगर रिजर्व्स थे अब इसकी संख्या बढ़कर 50 हो गई है। पर्यवारण मंत्रालय ने 2005 में नैशनल टाइगर कन्जर्वेशन अथॉरिटी (एनटीसीए) का गठन किया जिसको प्रॉजेक्ट टाइगर के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई।

​बंगाल टाइगर

​बंगाल टाइगर

बाघ की जो प्रजाति आमतौर पर सबसे ज्यादा पाई जाती है वह बंगाल टाइगर है। भारत में बाघों की जनसंख्या का 80 फीसदी बंगाल टाइगर है। करीब 3000 बाघ आज के समय में जिंदा हैं जिनमें से 1700 बंगाल टाइगर्स हैं। बंगाल टाइगर्स को रॉयल बंगाल टाइगर्स के नाम से भी जाना जाता है। यह भारत और बांग्लादेश दोनों का राष्ट्रीय पशु है।

​भारत में बाघों की संख्या

​भारत में बाघों की संख्या

वर्ल्ड वाइल्डलाइफ फंड ऐंड ग्लोबल टाइगर फॉर्म के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया के 70 फीसदी बाघ भारत में रहते हैं। 29 जुलाई, 2019 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस के अवसर अखिल भारतीय बाघ अनुमान 2018 की रिपोर्ट पेश की। इस रिपोर्ट के मुताबिक, 2018 में हुई बाघों की जनगणना के समय बाघों की संख्या 2,967 हो गई है। 2006 में बाघों की संख्या भारत में 1,411 थी, जो 2010 में 1,706, 2014 में 2,226 और 2018 में 2,967 हो गई है।

लुप्तप्राय प्रजाति
​लुप्तप्राय प्रजाति
इंटरनैशनल यूनियन फॉर कन्जर्वेशन ऑफ नेचर ने 2010 में बाघों को लुप्तप्राय प्रजाति करार दिया। पारंपरिक औषधि में बाघों की बड़ी मांग को देखते हुए उनको लुप्तप्राय प्रजाति करार दिया गया है। चीन की कम से कम 60 फीसदी से ज्यादा आबादी जानवरों के अंगों से बनी दवाओं का इस्तेमाल करती है।

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