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भारत की मजबूत घरेलू मांग से अमेरिकी टैरिफ में बढ़ोतरी का अर्थव्यवस्था पर असर कम होगा : रिपोर्ट

नई दिल्ली, 22 अगस्त (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। अमेरिका द्वारा लगाए गए 50 प्रतिशत टैरिफ का भारतीय कंपनियों पर अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा। टेक्सटाइल और जेम एवं ज्वेलरी उद्योग पर इसका असर देखने को मिल सकता है। वहीं, मजबूत घरेलू मांग और टैरिफ से छूट के कारण फार्मास्यूटिकल्स, स्मार्टफोन और स्टील सेक्टर पर इसका कोई असर नहीं होगा। यह जानकारी शुक्रवार को जारी हुई एक रिपोर्ट में दी गई।

एसएंडपी ग्लोबल की रिपोर्ट में कहा गया कि कैपिटल गुड्स, केमिकल, ऑटोमोबाइल्स, फूड और बेवरेज निर्यात को टैरिफ से कठिनाई का सामना करना पड़ सकता है।

एसएंडपी ग्लोबल रेटिंग्स का मानना है कि मॉस्को के साथ नई दिल्ली के तेल व्यापार के जवाब में, 27 अगस्त से भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 50 प्रतिशत करने के अमेरिकी कदम के परिणाम एक समान नहीं होंगे। यह क्षेत्र में सबसे अधिक टैरिफ होगा और इससे भारत से अमेरिका जाने वाले कुल निर्यात का 50-60 प्रतिशत हिस्सा प्रभावित होगा।

रेटिंग्स एजेंसी ने आगे कहा कि हालांकि, टैरिफ में वृद्धि का व्यापक आर्थिक प्रभाव भारत के घरेलू बाजार के बड़े आकार से कम हो जाएगा।

मॉर्गन स्टेनली की एक हालिया रिपोर्ट में कहा गया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा टैरिफ बढ़ाने की धमकी से उत्पन्न वैश्विक अनिश्चितता के बीच, भारत “एशिया में सबसे बेहतर स्थिति वाला देश” है, क्योंकि देश का वस्तु निर्यात और जीडीपी अनुपात कम है।

फिच की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के घरेलू बाजार का बड़ा आकार, जो बाहरी मांग पर निर्भरता को कम करता है, देश को अमेरिकी टैरिफ वृद्धि से बचाए रखेगा, और वित्त वर्ष 26 में अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है।

इससे पहले विदेश मंत्री एस जयशंकर ने गुरुवार को कहा था कि भारत अमेरिका से लगातार कच्चे तेल की खरीद को बढ़ा रहा है। साथ ही, बताया कि हम रूस के सबसे बड़े क्रूड ऑयल खरीदार नहीं हैं।

मीडिया से बातचीत करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत रूसी तेल का सबसे बड़ा खरीदार नहीं है, बल्कि वह चीन है। हम रूसी एलएनजी के सबसे बड़े खरीदार नहीं हैं, बल्कि वह यूरोपियन यूनियन है। हम वह देश नहीं हैं, जिसका 2022 के बाद रूस के साथ व्यापार में सबसे बड़ा उछाल आया। मुझे लगता है कि ऐसे कुछ देश दक्षिण में हैं।

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