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संसद के बजट सत्र के दौरान संसद भवन परिसर में अमित शाह और चिदंबरम

-अमित शाह को देख मुस्कुराते हुए चिदंबरम ने किया अभिवादन
-केंद्र सरकार की नीतियों को लेकर अक्सर हमलावर रहते हैं चिदंबरम

नई दिल्ली, 05 अप्रैल (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। संसद भवन में बजट सत्र चल रहा है। विपक्ष महंगाई, पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों समेत अन्य मुद्दों पर सरकार को घेर रहा है। इस बीच संसद भवन में एक दिलचस्प तस्वीर सामने आई है। संसद के सत्र में शामिल होने के दौरान देश के मौजूदा गृह मंत्री अमित शाह और पूर्व गृहमंत्री पी. चिदंबरम आमने सामने हुए। दोनों नेताओं ने एक दूसरे का मुस्कुराते हुए अभिवादन किया। संसद में तल्खी के बीच राजनीतिक हलकों में दोनों नेताओं का एक दूसरे के प्रति कड़ा रुख अक्सर चर्चा का विषय बना रहा है। पूर्व गृहमंत्री चिंदबरम लगातार बीजेपी पर हमलावर रुख अपनाए रखते हैं।

फ्यूल टैक्स को लेकर मोदी सरकार को घेरा था
पी चिंदबरम मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों को लेकर अक्सर आलोचना करते रहते हैं। हाल ही में उन्होंने फ्यूल टैक्स कलेक्शन को लेकर केंद्र सरकार पर सवाल खड़े किए थे। चिंदबरम ने लिखा था कि मोदी सरकार के 8 साल में केंद्र सरकार ने 26,51,919 करोड़ रुपये ईंधन कर के रूप में जुटाए। भारत में लगभग 26 करोड़ परिवार हैं। इसका मतलब है कि केंद्र सरकार ने हर परिवार से औसतन 1,00,000 रुपये ईंधन कर के रूप में एकत्र किए हैं! हालांकि, चिदंबरम के इस दावे पर सवाल भी उठाए गए थे। इसके जवाब में उन्होंने ट्वीट कर कहा था कि केंद्र सरकार द्वारा एकत्र किए गए फ्यूल टैक्स पर मेरा कॉलम और ट्वीट, सरकार के ‘पेट्रोलियम प्लानिंग एंड एनालिसिस सेल’ के आधिकारिक प्रकाशन से लिया गया था। यह सार्वजनिक डोमेन में उपलब्ध है।

यूक्रेन में भारतीयों के खतरे को लेकर उठाया था सवाल
चिदंबरम ने पिछले महीने यूक्रेन के मुद्दे पर भारत के रुख को लेकर भी सरकार को कटघरे में खड़ा किया था। उन्होंने 2 मार्च को ट्वीट में लिखा था कि भारत सरकार को अपने मौखिक संतुलन बनाए रखने की नीति को रोकना चाहिए और सख्त मांग करनी चाहिए कि रूस यूक्रेन के प्रमुख शहरों की बमबारी को तुरंत रोके। यदि बमबारी रोक दी जाती है, तो यूक्रेन में फंसे विदेशी देश से निकलने में सक्षम हो सकते हैं। उन्होंने आगे लिखा कि सरकार को निकासी के आदेश देने में देरी हुई और यह विश्वास कराने के लिए भी दोषी थी कि यूक्रेन में कुछ भी होने की संभावना नहीं है। छात्रों समेत हजारों भारतीयों की जान खतरे में है। भारत को जोर से और बहादुरी से बोलना चाहिए और मांग करनी चाहिए कि रूस तुरंत बमबारी बंद करे।

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