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छात्रों से बोले पीएम मोदी- आनलाइन या आफलाइन पढ़ाई नहीं, मन का भटकना है समस्या

नई दिल्ली, 01 अप्रैल (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। पीएम मोदी परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के 5वें संस्करण में विद्यार्थियों को एग्जाम के तनाव से बचने के गुर बता रहे हैं। पीएम मोदी ने छात्रों, शिक्षकों और अभिभावकों से बातचीत की शुरूआत में कहा कि कोरोना के कारण पिछले साल आपसे मिल नहीं पाया, लेकिन इस बार मिलकर अच्छा लग रहा है। परीक्षा से पहले भय और नंबर कम आने से जुड़े प्रश्नों पर पीएम मोदी ने कहा कि परीक्षा जीवन का सहज हिस्सा है। यह आपकी विकास यात्रा का हिस्सा है। आप कई बार एग्जाम दे चुके हैं। परीक्षा के अनुभवों को अपनी ताकत बनाएं। तो आप करते हैं उसमें विश्वास भरें। परीक्षा जीवन का एक पड़ाव भर है।

ऑनलाइन क्लास करते करते ऑनलाइन गेम खेलने और सोशल मीडिया की आदत हो गई है। इस समस्या से कैसे निजात पाएं? इस प्रश्न पर पीएम मोदी ने कहा कि माध्यम चाहे ऑनलाइन हो या ऑफलाइन, मन समस्या है। मन लगना चाहिए। मन से पढ़ेंगे तो ध्यान नहीं भटकेगा। जीवन में माध्यम बदलते रहते हैं। ऑनलाइन पाने के लिए है और ऑफलाइन बनने के लिए है। मुझे कितना ज्ञान अर्जित करना है मैं अपने मोबाइल फोन पर ले आऊंगा, जो मैंने वहां पाया है ऑफलाइन में मैं उसे पनपने का अवसर दूंगा। ऑनलाइन का अपना आधार मजबूत करने के लिए उपयोग करें और ऑफलाइन में जाकर उसे साकार करना है। ऑनलाइन को एक अवसर मानिए। पीएम मोदी ने कहा कि जितना आइपैड, मोबाइल फोन के अंदर घुसने में आनंद आता है, उससे हजार गुना आनंद अपने भीतर घुसने का होता है। दिन भर में कुछ पल ऐसे निकालिए, जब आप ऑनलाइन भी नहीं होंगे, ऑफलाइन भी नहीं होंगे बल्कि इनरलाइन होंगे। जितना अपने अंदर जाएंगे, आप अपनी ऊर्जा को अनुभव करेंगे।

स्टूडेंट्स ने नई शिक्षा नीति से जुड़े प्रश्न भी पूछे
स्टूडेंट्स ने नई शिक्षा नीति से जुड़े प्रश्न भी पूछे। स्टूडेंट्स ने पूछा कि कई बार हमारी रुचि कुछ और होती है और हम कुछ और पढ़ रहे होते हैं। नई शिक्षा नीति इस समस्या को कैसे हल करेगी? पीएम मोदी ने कहा कि असल में यह नई शिक्षा नीति नहीं यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी मतलब नेशनल एजुकेशन पॉलिसी न कि न्यू एजुकेशन पॉलिसी) नीति है। कई लोग इसे नई शिक्षा नीति बोल रहे हैं। एनईपी के निर्माण से लेकर इसे लागू करने तक व्यापक विचार विमर्श किया गया है। लाखों लोगों ने इसे बनाया है। सरकार कुछ भी करे तो कहीं न कहीं से तो विरोध का स्वर उठता ही है लेकिन मेरे लिए खुशी की बात है कि समाज के हर तबके में इसका स्वागत बनाया है। देश के शिक्षकों ने इसे देश के भविष्य के लिए बनाया है।

एनईपी में खेलकूद को शिक्षा का अनिवार्य विषय बनाया गया। बिना खेले कोई खुल और खिल नहीं सकता। खेल प्रतिस्पर्धी को समझने का मौका देता है। सदी के मुताबिक नहीं चले तो पिछड़ जाएंगे। आज 21वीं सदी के मुताबिक चलना होगा न कि 20वीं सदी के। एनईपी नए रास्ते पर जाने का सम्मान के साथ अवसर देती है। शिक्षा के साथ हुनर का महत्व भी काफी बढ़ गया है। देश भर के शिक्षकों, शिक्षाविद्यों व स्कूलों से आग्रह है कि इसकी बारीकियों को जमीन पर उतारने का प्रयास करें, जितना इसे लागू करेंगे, उतने इसके फायदे मिलेंगे। एनईपी के बहुआयामी और सकारात्मक नतीजे निकलेंगे। पीएम मोदी ने कहा कि अकसर देखते में आता है कि माता-पिता अपने सपनों और अपेक्षाओं को बच्चों पर थोपते हैं। सभी पेरेंट्स व टीचरों को कहना चाहूंगा – बच्चों की स्ट्रेंथ को पहचानें, यह आपकी कमी है कि आप उसकी ताकत को समझ नहीं पा रहे हैं। दूरी वही से बन जाती है। अपने सपनों को माता-पिता बच्चों पर न थोपें।

सेल्फ मोटिवेटेड होना जरूरी, अपनी हताश खुद खत्म करें
छात्रों से पीएम मोदी ने कहा कि सेल्फ मोटिवेटेड होना भी बेहद जरूरी है। मोटिवेशन के लिए किसी की जरूरत नहीं होती। हताशा की असली वजह समझने की कोशिश करें। हताशा से खुद निपटिए। हार न मानें, कमियों को सुधारकर उसे ही अपनी ताकत बना लें। जीवन में अंदर की सकारात्मक ताकत पहचानें। खुद को जानना बहुत जरूरी है। उसमें भी कौन सी बातें हैं जो आपको निराश करती हैं, उन्हें जानकर अलग कर लें। फिर आप ये जाने लें कि कौन सी बातें आपको सहज रूप से प्रेरित करती हैं।

पढ़ें हुए को याद कैसे रखें
पढ़ने के बाद कैसे चीजों को याद रखें, स्मरण शक्ति कैसे दुरुस्त करें? इस प्रश्न पर पीएम मोदी ने कहा कि यह हर छात्र को लगता है। जब आप पढ़ रहे होते है, उस पल को जीभर कर जिएं। यह पल आपकी शक्ति बन जाएगा। जो करें सजग भाव से करें। भूलने का यह कारण है कि हम उस पल को ठीक से नहीं जीते। मन को स्थिर करिए।
संबोधन से पहले पीएम मोदी ने आजादी का अमृत महोत्सव, कोरोना के खिलाफ देश की जंग व भारत सरकार की विभिन्न योजनाओं पर आधारिक बच्चों द्वारा लगाई प्रदर्शनी देखी। विद्यार्थियों की पेंटिंग की उन्होंने काफी तारीफ की। पीएम मोदी के संबोधन से पहले शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि जीवन में सभी लोग परीक्षा देते हैं। परीक्षा सभी को चिंता में जरूर डालती है लेकिन इस दौरान आत्मविश्वास होना जरूरी है। उन्होंने छात्रों से पीएम मोदी के जीवन और संघर्ष पर बनी फिल्म ‘चलो जीते हम’ शॉर्ट फिल्म को देखने के अपील की। इससे पहले गुरुवार को केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा है कि यह चर्चा छात्रों को नई दिशा दिखाएगी। मंत्री ने लोगों से नई दिल्ली स्थित तालकटोरा स्टेडियम में सुबह 11 बजे से शुरू होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने का आह्वान किया। यह कार्यक्रम पिछले चार वर्षों से स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग, शिक्षा मंत्रालय द्वारा आयोजित किया जा रहा है।

 

 

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