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रष्टाचार के आरोप में 22 कर अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति

नई दिल्ली, 26 अगस्त (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। सरकार ने भ्रष्टाचार के कथित आरोपों को लेकर केन्द्रीय अप्रत्यक्ष कर एवं सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के 22 वरिष्ठ अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्ति दे दी है। सूत्रों ने सोमवार को यहाँ यह जानकारी देते हुये कहा कि फंडामेंटल रूल 56 (जे) के तहत 22 और वरिष्ठ कर अधिकारियों के विरुद्ध यह कार्रवाई की गयी है। इससे पहले 27 उच्च अधिकारियों को उत्पीड़न, रिश्वत और भ्रष्टाचार के आरोपों पर अनिवार्य सेवानिवृत्ति दी गयी थी।

सीबीआईसी ने जिन अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई की है उनमें अधीक्षक और ऐप्राइजिंग ऑफिसर रैंक स्तर के अधिकारी शामिल हैं। उन अधिकारियों में के.के. उइके, एस.आर. परते, कैलाश वर्मा, के.सी. मंडल, एम.एस. डामोर, आर.एस. गोगिया, किशोर पटेल, जे.सी. सोलंकी, एस.के. मंडल, गोविंद राम मालवीय, ए.यू. छपरागेरे, एस. अशोकराज, दीपक एम. गनेयान, प्रमोदी कुमार, मुकेश जैन, नवीनीत गोयल, अचिंत्य कुमार प्रमानिक, वी.के. सिंह, डी.आर. चतुर्वेदी, डी. अशोक, लीला मोहन सिंह और वी.पी. सिंह शामिल हैं। यह अधिकारी विभिन्न केंद्रीय जीएसटी क्षेत्रों में कार्यरत थे। सूत्रों के अनुसार, भ्रष्ट कर अधिकारियों के विरुद्ध की गयी यह कार्रवाई प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा कर प्रशासन को साफ करने के वादे के अनुरूप है ताकि ईमानदार करदाताओं को परेशान न किया जा सके। ये अधिकारी विभिन्न क्षेत्रों में जीएसटी तथा उत्पाद शुल्क से जुड़ा कामकाज देख रहे थे।

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