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प्रसन्नता है मानवता को भूटान का संदेश: मोदी

थिंपू, 18 अगस्त (सक्षम भारत)। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रविवार को कहा कि भूटान ने प्रसन्नता के सार को समझ लिया है और इसमें कोई आश्चर्य नहीं है कि यह हिमालयी देश ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस की अपनी अवधारणा के चलते दुनिया में इसका पर्याय बन गया है। मोदी ने रॉयल यूनिवर्सिटी ऑफ भूटान के छात्रों को संबोधित करते हुए कहा कि दुनिया को भूटान से बहुत कुछ सीखना है जहां विकास, पर्यावरण और संस्कृति एक दूसरे के विपरीत नहीं बल्कि तालमेल में हैं। प्रधानमंत्री ने कहा, दुनिया के किसी भी कोने में अगर हम यह प्रश्न पूछें कि आप भूटान से किस प्रकार से अपने को जोड़ते हैं तो उसका उत्तर होगा कि ग्रॉस नेशनल हैप्पिनेस की अवधारणा से। मुझे कतई अचरज नहीं है। भूटान ने प्रसन्नता के सार को समझ लिया है। अपने संबोधन में मोदी ने कहा, भूटान ने सद्भाव, एकजुटता और करुणा की भावना को समझा है। यह भावना मुझे उन बच्चों में दिखाई दी जो मेरा स्वागत करने के लिए कल सड़कों पर कतारबद्ध थे। उनकी मुस्कान मुझे हमेशा याद रहेगी। मोदी भूटान की दो दिवसीय यात्रा पर शनिवार को यहां पहुंचे। यह भूटान की उनकी दूसरी यात्रा है। ग्रॉस नेशनल हैप्पीनेस शब्द भूटान के चैथे शासक जिग्मे सिंग्ये वांगचुक ने 1972 में दिया था। इस अवधारणा का तात्पर्य है कि प्रगति के लिए सतत विकास को लेकर एक समग्र दृष्टिकोण होना चाहिए और इसमें सुख के गैर-आर्थिक पहलुओं को भी समान महत्व दिया जाना चाहिए। मोदी ने कहा, मानवता के लिए भूटान का संदेश है प्रसन्नता। प्रसन्नता जो सद्भाव से आती है। प्रसन्न दुनिया काफी कुछ कर सकती है। प्रसन्नता जो घृणा पर विजय पाएगी। अगर जनता खुश होगी तो सद्भाव होगा,जहां सद्भाव होगा वहां शांति होगी। और शांति ही ऐसी चीज है जो समाजों को सतत विकास के जरिए प्रगति हासिल करने में मददगार होगी। उन्होंने कहा कि ऐसे वक्त में जब विकास को अमूनन संस्कृतियों और पर्यावरण के विरोध के रूप में देखा जाता है,तब दुनिया को भूटान से काफी कुछ सीखना है। मोदी ने कहा,यहां विकास,पर्यावरण और संस्कृति का एक दूसरे से टकराव नहीं बल्कि तालमेल है। रचनात्मकता, ऊर्जा और हमारे युवाओं की प्रतिबद्धताओं से हमारे देश वह सब कुछ हासिल कर सकते हैं जो टिकाऊ भविष्य के लिए जरूरी है फिर चाहे वह जल संरक्षण हो अथवा टिकाऊ कृषि या एकल उपयोग प्लास्टिक से हमारे समाजों को मुक्त बनाना।

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