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मानव और प्रकृति के बीच टकराव, जंगलों पर हो रही राजनीति की कहानी है ‘शेरनी’

मुंबई, 25 जून (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। विद्या बालन की एक बार फिर ओटीटी पर वापसी हुई हैं। शकुंतला देवी की बायोपिक के बाद अमेजन प्राइम वीडियो पर विद्या बालन की फिल्म शेरनी रिलीज हुई हैं। फिल्म वन विभाग से जुड़े एक बहुत ही बड़े मुद्दे को उठाती हैं। फिल्म की कहानी बाघों की हत्या जैसे गंभीर सब्जेक्ट पर आधारित हैं जिसके विषय में सरकारों सहित लोगों को भी सोचना चाहिए। फिल्म में एक डायलॉक है जो फिल्म की कहानी का सार बया करता है- ‘अगर विकास के साथ जीना है तो पर्यावरण को बचा नहीं सकते और अगर पर्यावरण को बचाने जाओ तो विकास बेचारा उदास हो जाता है।’

इस डायलॉग को आप आज की परिस्थिति से भी जोड़कर देख सकते हैं। देश कोरोना महामारी की चपेट में हैं। ये महामारी भी पर्यावरण से छेड़छाड़ करने का ही नतीजा है। कोरोना को रोकने के लिए विश्वभर में लॉकडाउन लगाया गया जिसकी वजह से विश्व के कई देशों की अर्थव्यवस्था कई साल पीछे चली गयी। बाघों की हत्या पूरे विश्व के लिए एक बुहत बड़ा मुद्दा है, इस लिए भारत सरकार कई राज्यों में सेव टाइगर की मुहीम चला रही हैं। विद्या बालन की फिल्म शेरनी में एक छोटा सा बच्चा अपने कक्षा में पढ़ाई गयी लाइन को दोहराते हुए कहता है कि बाघों के कारण ही जंगल है, जंगल है तो बारिश है, पानी है तो इंसान हैं, इस लिए इंसानों के लिए जंगलों का होना बहुत जरूरी है। जंगल तभी रहेगा जब उनमें जानवर होगें। बाघों की हत्या जैसे मुद्दे को लेकर बनायी गयी फिल्म में आप देखेंगे कि कैसे राजनीति और प्रशासनिक स्तर पर लोगों की दोगलेबाजी, स्वार्थ के कारण जंगलों का नाश होता जा रहा है।

 

 

 

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