व्यापार

भारत में ई20 फ्यूल को बढ़ावा देने की मुहिम बनी नई चुनौती

नई दिल्ली, 16 अक्टूबबर (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। पिछले दो महीनों में पेट्रोल वाहनों के मेंटेनेंस खर्च दोगुना हो गया है। भारत में ई20 फ्यूल को बढ़ावा देने की मुहिम अब कार मालिकों और बीमा कंपनियों के लिए नई चुनौती बनती जा रही है। यह खर्च अगस्त में 28प्रतिशत था, जो अक्टूबर में बढ़कर 52प्रतिशत तक पहुंच गया। यह जानकारी लोकल सर्कल्स के एक सर्वे में सामने आई। रिपोर्ट मंज कहा गया है कि पहले से ही महंगे पेट्रोल दामों से परेशान ग्राहकों पर इन बढ़े हुए खर्चों ने आर्थिक दबाव बढ़ा दिया है। सर्वे में कई वाहन मालिकों ने कहा कि अगर ई20 फ्यूल को ऑप्शनल रखा जाए और इसकी कीमत 20प्रतिशत कम की जाए, तो वे इसका समर्थन करेंगे। रिपोर्ट में यह भी बताया गया कि यह भावना पर्यावरण विरोधी नहीं है, बल्कि वाहन मालिकों पर अचानक थोपे गए बदलाव के कारण उत्पन्न हुई है। बीमा विशेषज्ञों का मानना है कि ई20 फ्यूल के कारण होने वाले नुकसान अक्सर मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी में कवर नहीं होते। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, अगर किसी वाहन को ई20 फ्यूल से नुकसान हुआ, तो इसे रासायनिक जंग या मैकेनिकल घिसावट माना जाता है, न कि दुर्घटना। ऐसे मामलों में बीमा कवरेज आमतौर पर लागू नहीं होता। हालांकि, अगर इंजेक्टर खराब होने से इंजन में आग लगती है, तो यह विवाद का मामला बन सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि बीमा पॉलिसी में बदलाव की आवश्यकता है, ताकि इथेनॉल से जुड़े नुकसान और अपवादों को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया जा सके। ऐसा न होने पर भविष्य में यह विवादों का कारण बन सकता है कि कौन-सा नुकसान बीमा में कवर होगा और कौन-सा नहीं। केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी का कहना है कि ई20 फ्यूल पर आ रही शिकायतें गलत जानकारी पर आधारित हैं। सरकार का दावा है कि ई20-कंपैटिबल वाहन 2023 से ही उपलब्ध हैं और इथेनॉल कार्यक्रम भारत के स्वच्छ ईंधन, कम आयात, और किसानों की आय बढ़ाने के लक्ष्य को आगे बढ़ाता है।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *