उपचुनाव के नतीजों से इंडिया ब्लॉक पार्टियों को बढ़ावा, भाजपा की चिंता बढ़ी
-डॉ. ज्ञान पाठक-
-: ऐजेंसी/सक्षम भारत :-
पश्चिम बंगाल में कालीगंज सीट पर उपचुनाव है। टीएमसी विधायक नसीरुद्दीन अहमद की मृत्यु के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ। भाजपा ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी को सत्ता से बेदखल करने की पूरी कोशिश कर रही है, जो इस उपचुनाव के परिणाम को महत्वपूर्ण बनाता है। टीएमसी उम्मीदवार अलीफा अहमद ने 50, 000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की। चुनाव परिणाम बताते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी राज्य की राजनीति की कमान संभाल रही है।
चार राज्यों की पांच विधानसभा सीटों पर हुए उपचुनाव के नतीजों से संकेत मिलता है कि भाजपा के लिए चिंता की वजहें हैं, ऐसे समय में जब पार्टी को खुद को मजबूत करने की सख्त जरूरत है। जिन चार राज्यों में उपचुनाव हुए हैं, वे हैं – गुजरात, केरल, पंजाब और पश्चिम बंगाल। चूंकि केरल में विधानसभा का कार्यकाल 23 मई, 2026 को, पश्चिम बंगाल में 7 मई, 2026 को, पंजाब में 16 मार्च, 2027 को और गुजरात में 19 दिसंबर, 2027 को समाप्त होना है, इसलिए चुनाव के नतीजों का खास महत्व है।
केरल का नीलांबर उपचुनाव माकपा समर्थित निर्दलीय विधायक पी वी अनवर के इस्तीफे के कारण कराना पड़ा। यह सीट माकपा के लिए निश्चित रूप से महत्वपूर्ण है। 2021 के चुनाव में अनवर ने 46.9 प्रतिशत वोट पाकर यह सीट जीती थी। कांग्रेस उम्मीदवार दूसरे स्थान पर रहे और 45.34 प्रतिशत वोट हासिल करने में सफल रहे। भाजपा तीसरे स्थान पर रही और उसे 4.96 प्रतिशत वोट मिले। इस प्रकार यह सीट तीनों राजनीतिक दलों- माकपा, कांग्रेस और भाजपा के लिए रणनीतिक महत्व रखती है।
इस बार माकपा ने अपना उम्मीदवार एम स्वराज को मैदान में उतारा था, जो कांग्रेस उम्मीदवार आर्यदान शौकत से 11, 077 वोटों से हार गये। माकपा के लिए यह गंभीर चिंता का विषय है क्योंकि पार्टी एलडीएफ के सत्तारूढ़ गठबंधन का नेतृत्व कर रही है। कांग्रेस उत्साहित है क्योंकि उसने 77737 वोट हासिल करके सीट जीती है जबकि माकपा उम्मीदवार को 66660 वोट मिले हैं।
2021 में एलडीएफ को मिले 81227 वोटों में भारी गिरावट आयी है, और यह संकेत है कि सत्तारूढ़ एलडीएफ केरल के मतदाताओं के बीच सत्ता-विरोधी भावना से ग्रस्त है, जबकि राज्य मंं अब से 11 महीने के भीतर चुनाव होने की संभावना है। पीवी अनवर को खुद निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में 19, 760 वोट मिले।
हालांकि कांग्रेस उम्मीदवार को मिले वोटों में भी 78527 से गिरावट आयी है, लेकिन यह गिरावट एलडीएफ उम्मीदवार की तुलना में कम है। इस प्रकार यह परिणाम आगामी विधानसभा चुनाव में राज्य में कांग्रेस और यूडीएफ के लिए उज्ज्वल भविष्य का संकेत देता है।
केरल भाजपा के लिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि वह राज्य में अपनी राजनीतिक पैठ जमाने की पूरी कोशिश कर रही है। भाजपा उम्मीदवार ने 2021 के चुनाव में 8595 वोट हासिल किए थे, लेकिन इस बार उसे 8648 वोट ही मिल सके। इसका मतलब है कि अपने सघन प्रयासों के बावजूद वह केवल 53 वोट ही बढ़ा पायी। राज्य में खुद को मजबूत करने का भाजपा का सपना टूट गया है।
गुजरात की दो विधानसभा सीटों- विसावदर और कादी- पर उपचुनाव भाजपा, आप और कांग्रेस के लिए महत्वपूर्ण हैं। ये भाजपा के लिए सबसे महत्वपूर्ण हैं, क्योंकि पार्टी 1998 से लगातार राज्य पर शासन कर रही है और यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का गृह राज्य है। दो सीटों में से भाजपा ने एक सीट आप के हाथों गंवा दी, जो दर्शाता है कि राज्य में पीएम मोदी और भाजपा का प्रभाव कम होता जा रहा है, जबकि आप का राजनीतिक प्रभाव बरकरार है, बावजूद इसके कि केंद्र की मोदी सरकार ने केंद्रीय जांच एजेंसियों ईडी और सीबीआई के माध्यम से बिना मुकदमा चलाये ही आप के नेतृत्व को राजनीतिक और कानूनी रूप से कुचल दिया है।
सबसे पहले विसावदर सीट की बात करते हैं, जहां आप विधायक भूपेंद्र भयानी के सत्तारूढ़ भाजपा में शामिल होने के बाद उपचुनाव हुए। आप के उम्मीदवार इटालिया गोपाल ने फिर भी भाजपा के उम्मीदवार किरीट पटेल के खिलाफ 17554 वोटों के अंतर से सीट जीत ली। आप उम्मीदवार को 75942वोट मिले, जबकि भाजपा को 58388 वोट मिले हैं। यह एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम है, और भाजपा के लिए अधिक चिंताजनक है, क्योंकि 2022 के विधानसभा चुनाव में उसे मिले 59147 वोटों से उसके वोट में गिरावट आयी है। भाजपा के लिए अतिरिक्त चिंता आप के वोटों में तेज वृद्धि है, जिसने पिछले विधानसभा चुनाव में 66210 वोट हासिल किये थे। कांग्रेस को पिछले चुनाव में 16963 वोटों के मुकाबले इस बार केवल 5501 वोट मिले हैं, जो पार्टी की गिरावट को दर्शाता है।
गुजरात की कादी विधानसभा सीट पर भाजपा ने कांग्रेस उम्मीदवार को 39452 मतों के अंतर से हराया है। भाजपा विधायक करशन सोलंकी के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराना पड़ा। भाजपा उम्मीदवार राजेंद्र कुुमार (राजूभाई) दानेश्वर चावड़ा को 99742 वोट मिले, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार रमेशभाई चावड़ा को 60290 वोट मिले। भाजपा के प्रति सहानुभूति के बावजूद, इसके वोट 2021 में इसे मिले107052 वोट से घट गये, लेकिन कांग्रेस को मिले 78858 वोट में तेज गिरावट का सामना करना पड़ा। आप उम्मीदवार तीसरे स्थान पर रहे और उसे पिछले चुनाव में मिले 7253 वोटों के मुकाबले केवल 3090 वोट मिले। सभी दलों के वोटों में सामान्य गिरावट को मतदान प्रतिशत में सामान्य गिरावट से समझा जा सकता है। फिर भी, इंडिया ब्लॉक को यह सबक सीखना चाहिए कि अगर वे एकजुट होते हैं तो वे गुजरात में भी भाजपा को कड़ी टक्कर दे सकते हैं, जो भाजपा के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है।
आप ने न केवल गुजरात में एक सीट जीती है, उसके मौजूदा विधायक के भाजपा में चले जाने और भाजपा द्वारा आप के रैंक और फाइल को तोड़ने के सभी प्रयासों के बावजूद, बल्कि पंजाब में लुधियाना पश्चिम सीट पर भी जीत हासिल की है। यह उन राजनीतिक विश्लेषकों के लिए आंख खोलने वाली बात होनी चाहिए जो भविष्यवाणी कर रहे थे कि आप जल्द ही एक राजनीतिक पार्टी के रूप में समाप्त हो जायेगी। आप के उम्मीदवार संजीव अरोड़ा ने यह जीत हासिल की। आप विधायक गुरप्रीत बस्सी गोगी के निधन के बाद इस सीट पर उपचुनाव कराना पड़ा। आप उम्मीदवार को 35179 वोट मिले, जबकि कांग्रेस उम्मीदवार को 24542 वोट मिले। इससे यह संकेत मिलता है कि आप अभी भी कांग्रेस से आगे है। भाजपा के उम्मीदवार जीवन गुप्ता को केवल 20323 वोट मिले। इस सीट पर 2022 के चुनाव की तुलना में सभी दलों के वोटों में सामान्य गिरावट आयी है, लेकिन कांग्रेस और भाजपा के वोटों में गिरावट आप के मुकाबले ज्यादा तेज है। 2022 के चुनाव में आप को 40443, कांग्रेस को 32931 और भाजपा को 28107 वोट मिले थे। यह दर्शाता है कि आप पंजाब में किसी भी अन्य राजनीतिक दल से ज्यादा मजबूत है और इसलिए राज्य में आगामी विधानसभा चुनाव में इसका भविष्य उज्ज्वल है। भाजपा और कांग्रेस के पास पंजाब में अपने राजनीतिक भविष्य को लेकर चिंतित होने के कारण हैं। यह शिरोमणि अकाली दल (एसएडी) पर भी लागू होता है, जिसे 2022 में 10072 वोटों के मुकाबले इस बार केवल 8203 वोट मिले हैं।
आखिरी, लेकिन कम महत्वपूर्ण नहीं, पश्चिम बंगाल में कालीगंज सीट पर उपचुनाव है। टीएमसी विधायक नसीरुद्दीन अहमद की मृत्यु के बाद इस सीट पर उपचुनाव हुआ। भाजपा ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली टीएमसी को सत्ता से बेदखल करने की पूरी कोशिश कर रही है, जो इस उपचुनाव के परिणाम को महत्वपूर्ण बनाता है। टीएमसी उम्मीदवार अलीफा अहमद ने 50, 000 से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की। चुनाव परिणाम बताते हैं कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के नेतृत्व में टीएमसी राज्य की राजनीति की कमान संभाल रही है, भले ही भाजपा सरकार उसे हटाने की तमाम बातें कर रही हो।
जबकि केरल में, अप्रैल/मई 2026 में विधानसभा चुनावों से पहले इस साल के अंत तक पंचायत चुनाव होने हैं, पश्चिम बंगाल में, 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले कोई अन्य चुनाव नहीं है। इसलिए टीएमसी की जीत पार्टी नेतृत्व को विधानसभा चुनावों के लिए सकारात्मक अभियान को आगे बढ़ाने में मदद करेगी।