खेल

स्वर्ण से दो जीत दूर भारतीय हॉकी टीम के सामने जर्मनी की चुनौती

पेरिस, 05 अगस्त (ऐजेंसी/सक्षम भारत)। ओलंपिक में 44 साल बाद स्वर्ण पदक जीतने की राह पर भारतीय हॉकी टीम के सामने मंगलवार को सेमीफाइनल में विश्व चैम्पियन जर्मनी की चुनौती होगी और इस बाधा को पार करके टीम ‘संकटमोचक’ पी आर श्रीजेश को शानदार विदाई देने के अपने मिशन की अगला कदम रखेगी।

ब्रिटेन के खिलाफ क्वार्टर फाइनल में दस खिलाड़ियों तक सिमटने के बावजूद भारतीय टीम ने जिस साहस और कौशल का प्रदर्शन करके मुकाबला पेनल्टी शूटआउट तक खिंचा, वह काबिले तारीफ है। तोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक मैच में जर्मनी की पेनल्टी बचाकर भारत को 41 साल बाद पदक दिलाने वाले नायक श्रीजेश एक बार फिर जीत के सूत्रधार बने। उन्होंने शूटआउट में ब्रिटेन के दो शॉट बचाये और इससे पहले निर्धारित समय के भीतर भी ब्रिटेन ने 28 बार भारतीय गोल पर हमला बोला और दस पेनल्टी कॉर्नर बनाये लेकिन महज एक सफलता मिली।

छत्तीस वर्ष के श्रीजेश का यह आखिरी टूर्नामेंट है और उन्हें स्वर्ण पदक के साथ विदा करने का मिशन भारतीय टीम के लिये अतिरिक्त प्रेरणा बना है। भारत ने आठ ओलंपिक स्वर्ण में से आखिरी 1980 में मॉस्को में जीता था और अब पेरिस में उसके पास 44 साल बाद इतिहास रचने का मौका है। सेमीफाइनल जीतने पर भारत का रजत तो पक्का हो जायेगा जो आखिरी बार उसने 1960 में रोम में जीता था।

ब्रिटेन के खिलाफ भारत ने करीब 40 मिनट दस खिलाड़ियों के साथ खेला क्योंकि अमित रोहिदास को रेडकार्ड दिखाया गया था। अब सेमीफाइनल में भी भारत को अपने नंबर एक फर्स्ट रशर के बिना ही खेलना होगा जिन पर एक मैच का प्रतिबंध लगाया गया है। हॉकी इंडिया ने हालांकि इसके खिलाफ अपील की है।

रोहिदास की गैर मौजूदगी भारत को पेनल्टी कॉर्नर में भी खलेगी क्योंकि कप्तान हरमनप्रीत सिंह के बाद वह भारत के ड्रैग फ्लिक विशेषज्ञ हैं। उनकी गैर मौजूदगी में अब हरमनप्रीत पर अतिरिक्त दबाव रहेगा जो शानदार फॉर्म में हैं और अब तक सात गोल कर चुके हैं। आधुनिक हॉकी में भारतीय डिफेंस का यह सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था और जैसा कि कोच क्रेग फुल्टोन ने कहा कि यह जीत नहीं एक ‘स्टेटमेंट’ था।

श्रीजेश ने मैच के बाद कहा, ‘‘जब मैं मैदान पर उतरा तो मेरे सामने दो ही विकल्प थे। यह मेरा आखिरी मैच हो सकता था या मेरे पास दो मैच और खेलने के मौके होते। अब मेरे पास दो मैच और खेलने के मौके हैं।’’

हरमनप्रीत ने कहा, ‘‘कुछ चीजें हमारे हाथ में नहीं होती। सेमीफाइनल में अमित का नहीं होना खलेगा लेकिन हमारा फोकस मैच पर और अपने प्रदर्शन पर है। क्वार्टर फाइनल में आखिरी मिनट तक हर खिलाड़ी ने अमित की कमी पूरी करने की कोशिश की।’’

विश्व रैंकिंग और एक दूसरे के खिलाफ रिकॉर्ड को देखें तो मौजूदा विश्व चैम्पियन और चार बार की ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता जर्मनी और भारत में ज्यादा फर्क नहीं है। जर्मनी विश्व रैंकिंग में चौथे और भारत पांचवें स्थान पर है।

क्वार्टर फाइनल में अर्जेंटीना को हराने वाली जर्मनी का सामना भारत से तोक्यो ओलंपिक कांस्य पदक के मैच में हुआ था जिसमें भारत ने 5.4 से जीत दर्ज की थी। श्रीजेश ने आखिरी सेकंड में पेनल्टी कॉर्नर बचाया था।

ओलंपिक से पहले भारत ने जर्मनी से अभ्यास मैच खेले थे और छह में से पांच जीते। इस साल जून में एफआईएच प्रो लीग के लंदन चरण में भारत ने जर्मनी को 3.0 से हराया लेकिन रिटर्न मैच में 2.3 से हार गए।

हरमनप्रीत ने कहा, ‘‘हम जर्मनी से फाइनल में खेलना चाहते थे। हमने टीम बैठकों में भी इस पर बात की थी। वह कठिन प्रतिद्वंद्वी है और उसके खिलाफ मैच आखिरी मिनट तक जाते हैं।’’ दूसरे सेमीफाइनल में नीदरलैंड का सामना स्पेन से होगा। भारत का मैच रात 10.30 पर खेला जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *